साइबर अपराधों पर केंद्र की बड़ी कार्रवाई: I4C से लेकर साइबर कमांडो तक, बहु-स्तरीय योजना तैयार

Wed 03-Dec-2025,07:52 PM IST +05:30

ताजा खबरों से अपडेट रहने के लिए हमारे Whatsapp Channel को Join करें |

Follow Us

साइबर अपराधों पर केंद्र की बड़ी कार्रवाई: I4C से लेकर साइबर कमांडो तक, बहु-स्तरीय योजना तैयार
  • केंद्र ने I4C, NCRP, 1930 हेल्पलाइन, साइबर फोरेंसिक लैब और साइबर कमांडो जैसे आधुनिक तंत्रों से साइबर अपराध नियंत्रण को मजबूत बनाने की बड़ी योजना लागू की।

     

  • CFCFRMS प्रणाली से 7,130 करोड़ रुपये सुरक्षित, 11 लाख सिम और लाखों संदिग्ध पहचानें ब्लॉक कर साइबर धोखाधड़ी को व्यापक रूप से रोका गया।

     

  • सरकार ने जागरूकता बढ़ाने के लिए कॉलर ट्यून, टीवी-रेडियो अभियान, सोशल मीडिया संदेश, स्कूल कार्यक्रम और डिजिटल गिरफ्तारी चेतावनी अभियान शुरू किए।

Delhi / New Delhi :

नई दिल्ली/ भारत में लगातार बढ़ रहे साइबर अपराधों पर काबू पाने के लिए केंद्र सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में व्यापक और समन्वित रणनीति लागू की है। संविधान की सातवीं अनुसूची के अनुसार पुलिस और लोक व्यवस्था राज्य विषय हैं, लेकिन केंद्र ने राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों की मदद के लिए कई तकनीकी, वित्तीय और प्रशिक्षण योजनाओं की शुरुआत की है। इसका उद्देश्य कानून प्रवर्तन एजेंसियों की क्षमता बढ़ाना, साइबर अपराध रोकथाम के लिए आधुनिक तंत्र बनाना और नागरिकों को जागरूक करना है।

सबसे बड़ा कदम रहा भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) की स्थापना, जो पूरे देश में साइबर अपराध से निपटने का नोडल हब है। इसके तहत शुरू किए गए राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (NCRP) ने लाखों शिकायतों को ऑनलाइन दर्ज करने और संबंधित पुलिस इकाइयों तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। महिलाओं और बच्चों से जुड़े साइबर अपराधों के लिए विशेष मॉड्यूल भी जोड़ा गया है।

वित्तीय साइबर धोखाधड़ी रोकने के लिए I4C ने CFCFRMS प्रणाली और हेल्पलाइन 1930 शुरू की। इसके जरिए अब तक 7,130 करोड़ रुपये से अधिक राशि फ्रॉडस्टर्स तक पहुंचने से पहले ही रोक ली गई। साथ ही, अत्याधुनिक साइबर फ्रॉड मिटिगेशन सेंटर में बैंक, टेलीकॉम कंपनियां, पेमेंट एग्रीगेटर और पुलिस एक साथ काम कर रही हैं।

सरकार ने अब तक 11.14 लाख सिम कार्ड और 2.96 लाख IMEI नंबर ब्लॉक किए हैं। साइबर अपराध जांच के समर्थन हेतु दिल्ली और असम में राष्ट्रीय साइबर फॉरेंसिक प्रयोगशालाएं खोली गईं, जिन्होंने हजारों मामलों में सहायता दी। ‘CyTrain’ पोर्टल पर अब तक 1.19 लाख से अधिक प्रमाणपत्र जारी किए गए हैं।

2024 में शुरू किए गए साइबर कमांडो कार्यक्रम के तहत अब तक 281 साइबर कमांडो प्रशिक्षित किए जा चुके हैं, जिन्हें महत्वपूर्ण सूचना अवसंरचना की सुरक्षा और जटिल साइबर खतरों से निपटने के लिए तैयार किया गया है।

केंद्र सरकार की जागरूकता अभियानों में कॉलर ट्यून, टीवी-रेडियो, अखबार, सोशल मीडिया अभियान, माईगव कार्यक्रम, कुंभ मेला 2025 और सूरजकुंड मेला 2025 जैसे आयोजन शामिल हैं। I4C ने DoT के साथ मिलकर डिजिटल गिरफ्तारी, फर्जी ऐप, मैलवेयर, निवेश ठगी आदि पर कॉलर ट्यून जारी की हैं।

साइबर अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई को सशक्त बनाने के लिए संदिग्ध रजिस्ट्री भी शुरू की गई, जिसके तहत 18 लाख से अधिक संदिग्ध पहचान साझा की गईं और 8,031 करोड़ रुपये के लेन-देन अस्वीकृत किए गए।

सरकार का मानना है कि तकनीकी हस्तक्षेप, प्रशिक्षण और जागरूकता-इन तीनों स्तंभों पर आधारित यह योजना भारत की साइबर सुरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में मील का पत्थर सिद्ध हो रही है।